बिजेंद्र पुंडीर
मसूरी : पहाडों की रानी मसूरी में आरक्षित एवं अनारक्षित वन क्षेत्र के चिन्हीकरण न किए जाने से हो रही परेशानियों को लेकर भारत सरकार की पर्यायवरण एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति के उपसमिति की एक टीम ने मसूरी में बैठक कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं विभिन्न संगठनों से समस्याओं के निराकरण के लिये सुझाव माॅगें।
पिक्चर पैलेस किंक्रेग रोड पर स्थित एक होटल में आयोजित बैठक में कमेटी के चेयरमैन तेजेन्द्र सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार में नॉटिफाईड और डी नाॅटिफाईड जगह के चिन्हीकरण और आम जन को होने वाली परेशानियों को सुनने के लिये कमेटी को भेजा गया है। जो स्थानीय लोगो से विचार विर्मश करने के बाद मंत्रालय को अपनी रिर्पोट सौंपेगा जिसके बाद सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुये नियमों में तब्दीली की जायेगी ।वहीं उन्होने बताया कि मसूरी में आवासीय भवन बनाने के लिये वनअधिनियमों के तहत लोगों को भारी परेशानियों से जूझना पड रहा है जिसके लिये सबसे पहले यह जरूरी है कि मसूरी में सर्व प्रथम नॉटिफाईड और डी नॉटिफाईड क्षेत्र का सही रूप में चिन्हीकरण किया जाये और सर्वे किया जाये जिससे मसूरी के लोगो की सबसे बडी समस्या का समाधान हो सके। वही कमेंटी के सम्मुख शहर के लोगो ने अपनी समस्यायें को रखते हुये नियमों में बदलाव की मांग की है। बैठक में कहा गया कि जो गाइड लाइन भारत सरकार ने दी थी उसमें लोगों को परेशानी हो रही है। बताया गया कि नोटिफाइड ऐरिया में भी गाइड लाइन के हिसाब से मकान बनाने में परेशानी हो रही है। जिसमें वन अधिनियम 2011 आड़े आ रहा है। निवर्तमान पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जो गाईड लाइन दी थी उसका उपयोग तब तक नहीं हो सकता जब तक आरक्षित व अनारक्षित वनक्षेत्र का चिन्हींकरण नही हो जाता। वहीं कहा कि इसमें 218 मामले लटके पड़े हैं लेकिन साथ ही कहा कि इसमें जो कहा गया है कि कोई बाहरी व्यक्ति मकान नही बना सकता इस नियम का विरोध किया जायेगा। इस मौके पर उपवन संरक्षक कहकशां नसीम ने कहा कि वन विभग व एमडीडीए ने दो करोड़ रूप्ये सर्वे को दिए थे लेकिन मैन पावर की कमी से अभी तक चिन्हीकरण नहीं हो पाया है जिससे परेशानी हो रही है। इस मौके पर संदीप साहनी, आरएन माथुर, संजय अग्रवाल, एमडीडीए के सहायक अभियंता एसएस रावत, नगर पालिका अभियंता आरएस बिष्ट सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।