जय प्रकाश बहुगुणा
बड़कोट : इस पर्वतीय राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं दूर दराज के क्षेत्र में किस तरह की है उसका एक उदाहरण मंगलवार को नौगांव विकास खण्ड के रष्टाड़ी गांव में देखने को मिली।कई घण्टो के इंतजार के बाद 108 सेवा के न आने पर ग्रामीणों को प्रसव पीड़ा से तड़पती एक महिला को कुर्सी की डन्डी बनाकर उसमें अस्पताल को लेकर जाना पड़ा।जब महिला की हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तब गरीब ग्रामीणों ने एक प्राइवेट वाहन से महिला को नौगांव अस्पताल पहुँचाया। उत्तराखण्ड में 108 एम्बुलेंश सेवा देवदूत कहलाती हो परन्तु ग्राम सभा रस्टाड़ी की महिला रंगमाला के लिए गांव के ग्रामीण ही देवदूत निकले जिन्होने डण्डी के सहारें गांव से कीमीगंाव रोड़ तक वहां से अस्पताल तक महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान पहुचाया । महिला के पेट में बच्चा उल्टा हो गया था जिससे महिला जीवन और मौत के बीच घण्टों झूलती रही। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नौगांव अस्पताल पहुचनें के बाद चिकित्सकों ने भारी मस्क्कत के बाद महिला व उसके बच्चें के साथ बचा लिया गया अब दोनो चचा और बच्चा स्वस्थ है ।
प्रखण्ड के ग्राम सभा रस्टाड़ी निवासी रंगमाला पत्नी अरविन्द का सोमवार की रात्री को भारी दर्द हुआ और मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने 108 एम्बुलेंश को फोन किया ताकी तीन किलोमीटर पैदल पहुचंकर ग्राम कीमी गांव के उपर से तत्काल अस्पताल पहुचाया जा सकें लेकिन ग्रामीणों ने उक्त महिला को डण्डी (पालगी) के सहारे रोड़ तक पहुचाया वहां पर 108 एम्बुलेंश नही पहुंची किसी तरह ग्रामीणेां ने नीजी वाहन से 27 वर्षिय श्रीमती रंगमाला को नौगांव अस्पताल पहुचाया जहाँ पर प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिला के पेट में बच्चा उल्टा था और चिकित्सकों की सुझबूझ से महिला और बच्ची को बचा लिया गया। डा. निधि रावत ने बताया कि मंगलवार की सुबह ग्राम रस्टाड़ी के ग्रामीण महिला को अस्पताल में ले आये थे , चिकित्सकों ने तत्काल उपचार शुरू कर दिया था और दोपहर तक प्रसव हो गया था । महिला ने लड़की को जन्म दिया है और दोनो स्वस्थ है तथा चिकित्सक की देखरेख में है।