सोनू उनियाल
जोशिमठ : सरकार द्वारा बनाया गया प्राथमिक विद्यालय लगभग 14 लाख खर्च करने के बाद भी बच्चों को छोड़ना पड़ा स्कूल 1 से लेकर 5 तक की शिक्षा लेने वाले बच्चों को शिक्षा की परीक्षा सरकार की अनदेखी व सीमावर्ती स्कलो को बन्द करने से बच्चों को स्कूल छोडना पड रहा हैं ,सूकी गाँव के प्राथमिक विद्यालय में 9 बच्चे पढ़ते थे और भविष्य में बच्चों की संख्या बढ़ने की अशंका थी पर आज गरीबो के बच्चों के सर पर टूटा पहाड़ सरकार की नाकामी से बच्चों को स्कूल छोडना पड रहा है और अब बच्चे घरो से बन्दर भगाने का काम कर रहे है क्या गरीब का बच्चा शिक्षा नही ले सकता या उसे शिक्षा उसे इसी तरह शिया से वंचित किया जाएगा
अमीरो के बच्चों को अच्छी शिक्षा की तालीम दी जाती है पर पैसे ना होने से गरीब का बच्चा आज भी पिछड़ा है गाँव मे जो स्कूल है उसके सिवा उनके पास कोई और चारा नही है।
इसी प्रकार की स्थिति है उत्तराखण्ड के कई गांवों की पर आज पलायन का मुख्य कारण शिक्षा ही है , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सरकार की कूट नीतियों से पहाड़ो में फेल होता नजर आ रहा है।
हमारी आप सभी लोगो से ये अपील है कि आप अपने प्राथमिक स्कूलो को टूटने से बचाएँ ताकि गरीब का बच्चा अनपढ़ ना रह सके ,या गरीब बच्चों को सरकार द्वारा सहयोग मिलें और इन्हें नवोदय जैसे स्कूलो में दाखिला दे ताकी गरीब का बच्चा भी पढ़ सके, वो भी कुछ बन सकें और जो काम आज की सरकार नही कर पा रही है क्या पता वो काम वो बच्चे कर बैठे अच्छी शिक्षा प्राप्त करके !